नई दिल्ली
नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में राज्यसभा सांसद श्री दिग्विजय सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत में जैविक कपास के नाम पर चल रहे 2.10 ट्रिलियन रुपये के महाघोटाले का पर्दाफाश किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की अनदेखी और मंत्रालय की मिलीभगत के चलते यह फर्जीवाड़ा पिछले एक दशक से जारी है, जिससे लाखों किसान प्रभावित हुए हैं और भारत की वैश्विक साख को गहरा धक्का लगा है।
घोटाले की जड़ – फर्जी प्रमाणन और झूठे किसान रजिस्ट्रेशन
2001 में शुरू हुए राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (NPOP) और उसके अंतर्गत काम कर रहे APEDA की प्रणाली में 6,046 आंतरिक नियंत्रण प्रणाली (ICS) और 35 प्रमाणन निकाय (CBs) कार्यरत हैं। इनका काम जैविक उत्पादन का सत्यापन करना है, जो ‘Tracenet’ प्लेटफॉर्म पर रिकॉर्ड होता है। लेकिन श्री सिंह के अनुसार, सच्चाई यह है कि अधिकांश ICS ने किसानों को बिना उनकी जानकारी के पंजीकृत किया है और गैर-जैविक (Bt) कपास को जैविक बताकर छह गुना मुनाफा कमाया है।
किसानों की ठगी और देश की बदनामी
करीब 12 लाख किसानों को उनके जैविक उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिल पाया, और उल्टा उनके नामों का दुरुपयोग किया गया। इस घोटाले से न केवल किसान ठगे गए बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की जैविक प्रमाणन प्रणाली की साख पर भी सवाल खड़े हो गए:
- USDA (अमेरिका) ने भारत की ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन की मान्यता 2021 में खत्म की।
- EU ने 5 भारतीय प्रमाणन एजेंसियों की मान्यता रद्द की।
- GOTS और New York Times की रिपोर्टों ने भी भारत के ऑर्गेनिक कपास निर्यात को फर्जी करार दिया।
सरकारी निष्क्रियता और मिलीभगत के आरोप
श्री दिग्विजय सिंह ने खुलासा किया कि उन्होंने 27 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर यह मामला उठाया था, जिस पर सीमित जवाब ही मिले। उन्होंने आरोप लगाया कि वाणिज्य मंत्रालय और एपीडा 2017 से मौजूद धोखाधड़ी के संकेतों के बावजूद कार्रवाई से बचते रहे। केवल कुछ प्रमाणन निकायों के पंजीकरण रद्द किए गए और एक-दो प्राथमिकी दर्ज की गईं, लेकिन व्यापक जांच या दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई नहीं हुई।
कांग्रेस की मुख्य मांगें
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में CBI के नेतृत्व में विशेष जांच दल (SIT) का गठन।
- Tracenet 2.0 और 2017 से लंबित सत्यापन प्रक्रियाओं का तत्काल क्रियान्वयन।
- सभी ICS समूहों और CBs की जांच और दोषियों पर आपराधिक कार्रवाई।
- प्रभावित किसानों को मुआवज़ा और फर्जी प्रमाणन के विरुद्ध सख्त दंड।
श्री सिंह ने यह भी कहा कि सरकार का कागज़ी जवाब और ट्रेसनेट का केवल उद्घाटन इस घोटाले पर पर्दा डालने का प्रयास है।
“यह सिर्फ आर्थिक धोखाधड़ी नहीं, यह हमारे किसानों के साथ अन्याय है और भारत की प्रतिष्ठा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूमिल करने की साजिश है।”