खंडवा/भोपाल
मध्य प्रदेश के कई ज़िलों में सोयाबीन की फसल पर येलो मोजेक वायरस का भारी प्रकोप देखने को मिल रहा है। इसमें सबसे बुरी हालत खंडवा जिले की है, जहां लगभग 60 प्रतिशत फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। लगातार तीसरे साल खराब मौसम और रोगों के कारण बर्बादी झेल रहे किसानों ने इस बार सरकार को चेतावनी दी है — अगर समय रहते सर्वे और मुआवज़े की घोषणा नहीं हुई, तो बड़ा आंदोलन होगा।
पहले सूखा, फिर बाढ़ जैसी बारिश
किसानों का कहना है कि जून में हुई शुरुआती बारिश के बाद उन्होंने खेतों में बुवाई की थी, लेकिन जुलाई और अगस्त में बारिश पूरी तरह बंद हो गई। इससे पौधों की बढ़वार नहीं हो पाई। जब बारिश लौटी, तो वह तूफानी अंदाज़ में आई, जिससे खड़ी फसलें और भी अधिक खराब हो गईं
येलो मोजेक और बीमारियों ने मचाई तबाही
मौसम और कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, फसलों को सबसे ज़्यादा नुकसान येलो मोजेक वायरस और सफेद मक्खी से फैली बीमारियों से हुआ है। इस वायरस के कारण पत्ते पीले पड़ जाते हैं, फलियां सूख जाती हैं और अंदर से दाने नहीं बनते।
खंडवा के किसानों ने बताया, “तीन साल से लगातार फसल बर्बाद हो रही है, लेकिन अब तक बीमा क्लेम तक नहीं मिला। बीमा सिर्फ कागज़ों पर है, प्रीमियम कटता है पर पैसा नहीं मिलता।”
किसानों का सरकार पर हमला
किसानों का आरोप है कि सरकार और जनप्रतिनिधि सिर्फ केले की फसल को प्राथमिकता देते हैं, जबकि सोयाबीन, प्याज और कपास जैसी प्रमुख फसलें भी यहां होती हैं — लेकिन उनकी अनदेखी की जाती है।
खंडवा के किसान मांगीलाल ने बताया, “मेरे पास 10 एकड़ जमीन है, सबकुछ बर्बाद हो गया। सरकार से यही मांग है कि तुरंत सर्वे कर मुआवजा दिया जाए।”
कमलनाथ और मुख्यमंत्री मोहन यादव की प्रतिक्रिया
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी मामले पर सरकार को घेरा और कहा कि,
“येलो मोजेक का प्रकोप प्रदेश में बहुत बड़ा है। सरकार को देरी नहीं करनी चाहिए। तुरंत नुकसान का आकलन कर किसानों को राहत दी जाए।”
वहीं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रभावित इलाकों का दौरा कर प्रशासन को तत्काल सर्वे कराने और मुआवज़ा देने के निर्देश दिए हैं।
जानिए कितना बड़ा है नुकसान
- प्रदेश में कुल 51.9 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती होती है
- खंडवा, मंदसौर, रतलाम, शाजापुर, खरगोन, देवास और नीमच प्रमुख प्रभावित जिले
- 60% से अधिक फसल बर्बाद होने की आशंका
- किसानों को प्रति एकड़ ₹10,000 से ₹20,000 तक नुकसान का अनुमान
क्या है किसानों की मांग ?
- तत्काल फसल सर्वे
- बीमा क्लेम की प्रक्रिया में पारदर्शिता
- येलो मोजेक से बचाव के लिए वैज्ञानिक सहायता
- सभी फसलों को समान प्राथमिकता
मध्य प्रदेश में सोयाबीन किसानों की हालत इस समय बेहद नाजुक है। मोहन सरकार पर अब दबाव है कि वह सिर्फ आश्वासन नहीं, ठोस राहत योजना लेकर सामने आए — वरना खेत के बाद सड़क भी किसानों की आवाज़ से गूंजेगी।