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पाकिस्तान और श्रीलंका के रिश्तों की समीक्षा: बदलते दौर में साझेदारी की नई परिभाषा

भोपाल / मध्यप्रदेश / भारत

दक्षिण एशिया के दो पुराने सहयोगी देश, पाकिस्तान और श्रीलंका, आज फिर से राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा के मोर्चों पर अपने संबंधों को नई दिशा देने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान की 2021 दो दिवसीय श्रीलंका यात्रा, उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद की पहली यात्रा थी, जिसने इस बात की और इशारा किया कि इस्लामाबाद क्षेत्रीय परिदृश्य में अपनी साझेदारी को और गहरा करना चाहता है।

स्थिरता की नींव पर रिश्ते

1948 में कूटनीतिक संबंध स्थापित होने के बाद से दोनों देशों के बीच कोई बड़ा संघर्ष नहीं हुआ है। सांस्कृतिक जुड़ाव — जैसे श्रीलंका का पाकिस्तान की गांधार बौद्ध विरासत से गहरा नाता — और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग ने रिश्तों को मज़बूत किया है। समय के साथ, रक्षा और व्यापार ने इन संबंधों में और मजबूती को बढ़ाया ही है।

इस्लामाबाद ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोलंबो का समर्थन किया है। श्रीलंका के गृहयुद्ध को लेकर UNHRC के प्रस्तावों के खिलाफ पाकिस्तान का रुख इसका प्रमाण है। इसके बदले में, श्रीलंका ने कश्मीर मुद्दे पर तटस्थता रखी, जिससे वह भारत-पाक प्रतिद्वंद्विता से दूर रहा।

रक्षा और सुरक्षा में सहयोग

रक्षा संबंध इस साझेदारी की रीढ़ बने हुए हैं। एलटीटीई (LTTE) के खिलाफ लड़ाई के दौरान पाकिस्तान ने श्रीलंका को हथियार, प्रशिक्षण और आतंकवाद-रोधी सहायता दी। बाद में जब पाकिस्तान को खुद आतंकी हमलों का सामना करना पड़ा, तब श्रीलंका ने अपना अनुभव साझा किया।

आज यह सहयोग और आगे बढ़ चुका है — सैन्य अभ्यास, नौसैनिक सहयोग और 2016 का JF-17 लड़ाकू विमानों का सौदा इसका उदाहरण हैं। हाल की यात्रा में इमरान खान ने रक्षा सहयोग के लिए 50 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन की घोषणा की। हालांकि, कोलंबो ने भारत को नाराज़ न करने के लिए खान का संसद में भाषण रद्द कर यह संकेत दिया कि वह क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखना चाहता है।

व्यापार और आर्थिक अवसर

आर्थिक सहयोग अब तक अपेक्षा से कम रहा है। 2005 में FTA के बावजूद, द्विपक्षीय व्यापार 2004 के 180 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2018 में केवल 460 मिलियन डॉलर तक पहुँचा। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि गैर-शुल्कीय बाधाएँ हटाई जाएँ तो यह आँकड़ा 3 बिलियन डॉलर तक जा सकता है।

दोनों देशों ने संयुक्त कार्य समूहों को फिर से सक्रिय किया है। पाकिस्तान ने श्रीलंका को CPEC में निवेश के अवसर तलाशने का निमंत्रण भी दिया है। अल्पावधि में, कोलंबो के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्रों में निवेश अधिक लाभकारी हो सकता है।

पर्यटन और सांस्कृतिक संबंध भी अहम हैं। क्रिकेट लंबे समय से दोनों देशों के बीच दोस्ती की डोर रहा है। 2009 के लाहौर हमले के बाद भी श्रीलंका ने पाकिस्तान का दौरा फिर से शुरू किया, जो आपसी विश्वास को दर्शाता है।

भविष्य की दिशा

दोनों देशों के रिश्ते भरोसे और सहयोग पर टिके हैं। आने वाले समय में सफलता इस पर निर्भर करेगी कि वे इन क्षेत्रों में कैसे ठोस कदम उठाते हैं:

व्यापार और निवेश में नई ऊर्जा लाना,

रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाना,

सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना,

और CPEC जैसे प्रोजेक्ट्स के जरिए नई संभावनाएँ तलाशना।

और अंत में, पाकिस्तान–श्रीलंका संबंध परंपरा और व्यावहारिकता का संतुलित मेल हैं। यदि दोनों देश अपनी पुरानी साझेदारी को नए अवसरों के साथ जोड़ने में सफल होते हैं, तो वे दक्षिण एशिया में सहयोग और स्थिरता की एक मिसाल बन सकते हैं।

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