Breaking

भोपाल के उमाशंकर तिवारी: 25 वर्षों से पर्यावरण के सच्चे प्रहरी

आज जब पूरी दुनिया में पर्यावरण संरक्षण की बातें सिर्फ भाषणों और पोस्टरों तक सीमित रह जाती हैं, तब भोपाल के बागमुगालिया एक्सटेंशन में रहने वाले उमाशंकर तिवारी एक मिसाल बनकर उभरे हैं। वे अकेले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने पिछले 25 वर्षों में पौधे लगाने से लेकर प्लास्टिक के खिलाफ मुहिम चलाने और पानी-बिजली की बर्बादी रोकने तक एक व्यापक अभियान छेड़ रखा है।

उमाशंकर तिवारी का सफर बताता है कि अगर नीयत साफ हो और प्रयास निरंतर हों, तो कोई भी आम इंसान अपने स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण, हरी-भरी कॉलोनी, और क्लाइमेट चेंज के खिलाफ जंग में बड़ा बदलाव ला सकता है।

2000 से बदला बागमुगालिया का नक्शा

वर्ष 2000 में उमाशंकर तिवारी जब अपने परिवार के साथ बागमुगालिया एक्सटेंशन कॉलोनी में रहने आए, तो उस वक्त यह इलाका लगभग वीरान था। चारों तरफ चट्टानी जमीन थी और हरियाली नाम की कोई चीज़ आसपास नहीं दिखती थी।

तिवारी ने ठान लिया कि वे इस बंजर जमीन को हरा-भरा बना कर रहेंगे। शुरुआत में उन्होंने पीपल, नीम, बरगद, आम, और जामुन जैसे पौधे लगाए। केवल पौधे लगाने तक ही बात नहीं रही, उन्होंने हर पौधे को ट्री गार्ड लगाकर सुरक्षित किया और उसे बड़ा होने तक अपनी निगरानी में रखा।

आज कॉलोनी में जहां देखो, वहां घने छांवदार पेड़ हैं। उमाशंकर तिवारी के लगाए गए ये पेड़ अब सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं दे रहे, बल्कि आसपास के इलाके के तापमान को भी नियंत्रित कर रहे हैं।

पेड़ काटने को ‘हत्या’ मानते हैं उमाशंकर

उमाशंकर तिवारी का पेड़-पौधों से प्यार केवल लगाकर भूल जाने तक सीमित नहीं है। हाल ही में जब उनकी कॉलोनी में किसी ने एक पेड़ काट दिया तो उन्होंने इसे हत्या मानते हुए स्थानीय थाने में एफआईआर तक दर्ज करवाई। उनका यह कदम बताता है कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर उनकी गंभीरता कितनी मजबूत है।

पटाखे और प्लास्टिक के खिलाफ भी खड़ी की दीवार

पेड़ लगाना ही सब कुछ नहीं, यह बात उमाशंकर तिवारी ने बहुत पहले समझ ली थी। पर्यावरण बचाने के लिए उन्होंने पटाखों और प्लास्टिक के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया।

साल 2003 से ही उन्होंने पटाखों का पूरी तरह बहिष्कार कर रखा है। उनका कहना है कि त्योहारों पर हम खुशियों के नाम पर वायु और ध्वनि प्रदूषण फैला देते हैं, जो पर्यावरण के साथ-साथ लोगों की सेहत के लिए भी नुकसानदायक होता है।

यही नहीं, वे पिछले 15 साल से सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ जन-जागरूकता अभियान चला रहे हैं। वे खुद प्लास्टिक की कोई वस्तु उपयोग नहीं करते। उनका यह संकल्प इतना मजबूत है कि अगर किसी शादी या सार्वजनिक कार्यक्रम में डिस्पोजेबल प्लास्टिक की प्लेट या पानी की बोतलें इस्तेमाल हो रही हों, तो वे और उनका परिवार वहां खाना नहीं खाते।

बिजली और पानी की बर्बादी पर भी नजर

उमाशंकर तिवारी के लिए पर्यावरण का मतलब सिर्फ पौधे नहीं हैं। वे मानते हैं कि जब तक हम अपनी आदतों में बदलाव नहीं लाएंगे, तब तक असली संरक्षण संभव नहीं है।

इसीलिए वे अपनी कॉलोनी में बिजली और पानी की बर्बादी पर लगातार नजर रखते हैं। अगर कहीं स्ट्रीट लाइट दिन में जलती दिख जाए तो तुरंत नगर निगम को सूचित करते हैं। अगर पाइपलाइन से पानी व्यर्थ बह रहा हो तो संबंधित विभाग को अलर्ट करते हैं।

बच्चों और युवाओं को दी जागरूकता की जिम्मेदारी

तिवारी का मानना है कि अगली पीढ़ी को अगर सही दिशा नहीं दी गई तो पर्यावरण संकट और गहरा होगा। इसीलिए वे आसपास के बच्चों और युवाओं के बीच भी नियमित रूप से जागरूकता अभियान चलाते हैं।

कई बार वे स्कूलों में जाकर बच्चों को प्लास्टिक के दुष्प्रभाव, पौधारोपण की अहमियत और पानी-बिजली के बचाव के तरीकों पर वर्कशॉप भी कराते हैं।

असली पर्यावरण संरक्षण का संदेश

उमाशंकर तिवारी कहते हैं कि सिर्फ पेड़ लगाना ही पर्यावरण बचाना नहीं है। यह तो पहला कदम है। इसके बाद प्लास्टिक को ना कहना, पटाखों से दूरी बनाना, बिजली-पानी की बर्बादी रोकना और कचरा जलाने से बचना जरूरी है। तभी असली मायनों में हम अपनी धरती को सुरक्षित रख पाएंगे।उनकी यही सोच उन्हें आम लोगों से अलग बनाती है। यही वजह है कि लोग अब उन्हें भोपाल का ग्रीन वारियर भी कहने लगे हैं।

जहां एक ओर लोग सिर्फ बातें करते हैं, वहीं उमाशंकर तिवारी ने दिखा दिया कि असली बदलाव कैसे आता है। आज जरूरत है कि हम सभी उमाशंकर तिवारी से प्रेरणा लें और अपने स्तर पर छोटे-छोटे कदम उठाकर पर्यावरण संकट से लड़ें।

Share this article

Subscribe

By pressing the Subscribe button, you confirm that you have read our Privacy Policy.
Bol24 News
B-35, Rajved colony, Kolar road, Bhopal

More News