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पतंजलि-डाबर विवाद : डाबर च्यवनप्राश विवाद में पतंजलि को कोर्ट से झटका, कई बार लग चुकी है बाबा रामदेव को कोर्ट से फटकार, जानिए पूरा मामला

योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को एक बार फिर दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दरअसल पतंजलि द्वारा डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ किए गए विवादित विज्ञापन पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए तत्काल रोक लगाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह से किसी ब्रांड की छवि को नुकसान पहुंचाना कानूनन गलत है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

डाबर क्यों पहुंचा कोर्ट?

पूरा मामला डाबर के च्यवनप्राश से जुड़ा है, जो दशकों से भारतीय बाजार में भरोसे का नाम माना जाता रहा है। डाबर ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि पतंजलि अपने नए विज्ञापन में डाबर च्यवनप्राश को ‘कमजोर’ और ‘घटिया क्वालिटी’ का बताकर ग्राहकों को गुमराह कर रहा है। डाबर की दलील थी कि इससे न केवल उनके उत्पाद की छवि खराब हो रही है, बल्कि बाजार में उनकी बिक्री पर भी असर पड़ रहा है।

डाबर ने पतंजलि के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में मानहानि का केस दायर करते हुए 2 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की है। कोर्ट ने फिलहाल विज्ञापन को तुरंत प्रभाव से रोकने के आदेश दिए हैं।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि किसी भी प्रतिस्पर्धी ब्रांड को इस तरह से ‘अपमानजनक’ तरीके से दिखाना गलत है। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा में उत्पाद की खूबियों को सामने लाना चाहिए, न कि दूसरे ब्रांड को बदनाम करना चाहिए। कोर्ट ने पतंजलि को तत्काल इस विज्ञापन को सभी प्लेटफॉर्म से हटाने का आदेश दिया है।

पहले भी विवादों में रहा पतंजलि

यह पहली बार नहीं है जब पतंजलि और बाबा रामदेव को कोर्ट की सख्ती का सामना करना पड़ा हो। कुछ महीने पहले रूह अफजा शरबत को लेकर भी ऐसा ही विवाद सामने आया था। उस समय पतंजलि ने अपने विज्ञापन में रूह अफजा को ‘शरबत जिहाद’ कहा था, जिसके बाद रूह अफजा बनाने वाली कंपनी हमदर्द कोर्ट पहुंची थी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने उस मामले में भी पतंजलि को फटकार लगाई थी और विवादित विज्ञापन को तुरंत वापस लेने के निर्देश दिए थे। उस वक्त सोशल मीडिया पर भी यह विवाद जमकर ट्रेंड हुआ था और बाबा रामदेव की जमकर आलोचना हुई थी।

क्यों बार-बार विवाद में घिरती है पतंजलि?

पतंजलि का मार्केटिंग तरीका हमेशा से ही विवादों में रहा है। आयुर्वेद को बढ़ावा देने के नाम पर कई बार कंपनी ने बड़े ब्रांड्स पर निशाना साधा है। कभी कोला ब्रांड्स को लेकर, कभी मैगी नूडल्स को लेकर तो कभी दूसरे हेल्थ प्रोडक्ट्स पर, पतंजलि की सीधी आलोचना पहले भी चर्चा में रही है।

हालांकि, इससे पतंजलि की लोकप्रियता और बाबा रामदेव की फॉलोइंग पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। लेकिन बार-बार कोर्ट से डांट खाने की वजह से कंपनी की ब्रांड इमेज पर सवाल जरूर उठने लगे हैं।

कई बार लगी है फटकार

  • मई 2025 में पतंजलि में संदिग्ध लेन-देन पर सरकार ने नोटिस भेजकर मांगी सफाई.
  • जनवरी 2025 में भ्रामक विज्ञापन जारी करने पर रामदेव और बालकृष्ण के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन जारी करने जमानती वारंट जारी हुआ.
  • अगस्त 2022 में कोरोना के समय बाबा रामदेव की तरफ से दावा किया गया कि, हमने कोरोना खत्म करने की दवा बना ली. फिर सरकार ने फटकार लगाई तो दावे को वापस ले लिया.
  • मई 2021 में बाबा रामदेव ने एलोपैथी को निशाना बनाते हुए इसे ‘बेवकूफ विज्ञान’ कहा था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई. बाबा को अखबार में विज्ञापन छपवा कर IMA से माफी मांगनी पड़ी थी. 
  • साल 2018 में बाबा रामदेव के एक समय करीबी साथी रहे कर्मवीर ने पतंजलि घी की गुणवत्ता पर सवाल उठाए.
  • नवंबर 2015 में पतंजलि ने इंस्टेंट आटा नूडल्स लॉन्च किया, बिना फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी की मंजूरी के, जिसके बाद इस प्रोडक्ट को वापस लेना पड़ा

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