हाउसफुल सीरीज की हर फिल्म हमेशा से ही ऐसी रही है जैसे दिमाग घर पे रखो और मैजिक देखो क्योंकि आजकल मूवी में कॉमेडी एक ऐसी शैली है जिसमें लॉजिक के क्लू ढूंढना मतलब कश्मीर से कन्याकुमारी तक पैदल चलना। हाउसफुल फाइव फिल्म्स हाउसफुल ए एंड हाउसफुल बी में कि पहली बार किसी मूवी के दो वर्जनंस एक साथ थिएटर में एक साथ चलाए गए।
इस बार हाउसफुल फ्रेंचाइसी की यह फिल्म 90% से भी ज्यादा एक क्रूज शिप पर शूट की गई है जहां सब लोग बर्थडे पार्टी में शामिल होने आए हैं इस पार्टी में एक मर्डर हो जाता है फिर बढ़ती है कहानी एक मर्डर ऊपर से तीन लोग जॉली नाम से अपने आप को जायदाद का वारिस भी बता रहे हैं और इसमें हाउसफुल मूवी में आपको तोता और बंदर भी दिखाई देंगे जो पुरानी यादें मतलब बीते वक्त की यादें करवाते हैं और अक्षय कुमार जो अब अपनी हर मूवी में वो क्वर्की कॉमिक टाइमिंग वाले वो उसी तरह के अपने रोल और उसी तरह के एक के बाद एक शीन में आपको यहां देखने को मिल जाएंगे साथ ही में मिल जाएंगे डजन से भी ज्यादा एक्टर्स लगभग 20 एक्टर्स। यह पहली बॉलीवुड कॉमेडी फ्रेंचाइसी होगी जो हर बार इतने सारे एक्टर्स को एक साथ लेकर आती है एंड इसीलिए इस फिल्म सीरीज का नाम हाउसफुल है हाउसफुल ऑफ एक्टर्स।
फिल्म का स्टार्टिंग मर्डर से ही होता है शुरुआत में आपको लगेगा कि मैं कॉमेडी मूवी ही देखने आया हूं ना क्योंकि जिस तरीके से वो पहला शॉट की कहानी लिखी गई है और शीन को फिल्माया गया है किसी मर्डर मिस्ट्री से कम नहीं लगता और उसके बाद ही असली मूवी शुरू होती है. फिल्म देखते समय दिमाग नहीं लगाने का बस जो हो रहा है उसे बस बाकी हाउसफुल मूवीस की तरह देखते चले जाओ महसूस करो की अक्षय कुमार कॉमेडी में क्या कमाल कर रहे हैं।
इस समय अक्षय कुमार की मूवीस का हाल ऐसा है कि भाई इधर आंख बंद करो और आंख खुलने से पहले अक्षय कुमार एक और मूवी ले आते हैं उनकी फिटनेस देखकर कौन बोलेगा यह शादीशुदा आदमी दो बच्चों का पिता इतनी सारी मूवीस करते हैं।
शादी शुदा जीवन दिखाती मूवी में दिखाई गई जोड़ियां कंफ्यूजन में डाल देती है। कौन किसकी गर्लफ्रेंड कौन किसकी बीवी सब कंफ्यूजन होता है फिल्म का मजा लेने के लिए उस पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत नहीं है फिल्म की सबसे खास बात यह है कि कातिल कौन है, इसका अंदाज़ा आप फिल्म के अंत तक नहीं लगा सकते। यही रहस्य इसे बाकी कॉमेडी फिल्मों से अलग बनाता है। मज़े की बात यह है कि फिल्म के दोनों भाग — A और B — में कातिल अलग-अलग होते हैं, जो इस कहानी को और भी पेचीदा और दिलचस्प बना देता है ए और बी दोनों भाग देखने के बाद मजा आएगा क्योकि लास्ट के 20 मिनट में जो भी चेंजेस हुए हैं उसमें कैरेक्टर चेंज हो जाते हैं जिसकी वजह से उससे रिलेटेड सारे सीन्स दो-दो बार शूट करने पड़े अलग अलग कैरेक्टर्स के साथ। मजे की बात यह है कि इतने सारे कैरेक्टर्स होने के बावजूद भी ऐसा फील नहीं होता कि किसी को स्क्रीन टाइम कम मिला है दर्शको को हर किसी के स्टोरी लाइन के साथ इनवॉल्व किया जाता है जिससे हम कैरेक्टर्स के साथ अटैच्ड हो सके।
गाने कहानी के हिसाब से अनावश्यक लेकिन सुनने में अच्छे लगते हैं इसमें वो गाने नहीं भी होते तो भी चल जाता। मूवी के लास्ट में किलर वाला ही नहीं एक सस्पेंस और भी है एक तगड़ा कैमियो भी है जिसके बारे में कोई हिंट भी नहीं देना चाहता। चाहे ए वर्जन देखो या बी दोनों में वो कैमियो सेम है लेकिन दोनों में डिफरेंट किलर्स होने की वजह से मजा दुगना हो जाता है।
डायरेक्शन भी बहुत जोरदार है और लोकेशन और सेट देखकर पता लग रहा है कि मूवी बनाने में पैसा बहुत खर्चा किया गया है। कलाकारों के साथ साथ लोकेशनो में नयापन होने के कारण पूरे समय एक फ्रेश वाइब बनी रहती है, संजय दत्त और जैकी वाला भीड़ू एंड बाबा का रोल भी ठीक था, नाना पाटेकर का रोल मान के चलो कि एक एक्सटेंडेड कैमियो की तरह है लेकिन उनके आने के बाद ही असली किलर का पता चलता है। साजिद नाडियावाला ने वेलकम मूवी के बाद अपने राइटिंग से एक मर्डर मिस्ट्री और कॉमेडी को बहुत अच्छे से परोसा है जिससे उस क्रूज पे मर्डर्स पे मर्डर्स हुए जा रहे हैं लेकिन फिर भी लोग हंस रहे थे अब कौन सा वर्जन पहले देखना है यह आप की पसंद का सवाल है
मेरे तरफ से फिल्म को 5 स्टार्स में 3.5 स्टार्स दिए जा सकते है ।