गुरुवार का दिन देश के लिए दो बड़े हादसों की खबर लेकर आया। एक ओर गुजरात के अहमदाबाद में एक भीषण प्लेन क्रैश में 242 लोगों की जान चली गई, वहीं दूसरी ओर दिल्ली में एक ट्रेन के पटरी से उतर जाने से बड़ा हादसा होते-होते टल गया। हालांकि दिल्ली की घटना में किसी के घायल होने की खबर नहीं है, यह राहत की बात जरूर है लेकिन रेलवे की लापरवाही और व्यवस्थाओं पर कई सवाल खड़े करती है।
दिल्ली में पटरी से उतरी EMU ट्रेन, बाल-बाल बचे यात्री
दिल्ली में गुरुवार दोपहर करीब 4:10 बजे निजामुद्दीन से गाजियाबाद जा रही EMU ट्रेन नंबर- 64419 शिवाजी ब्रिज स्टेशन के पास हादसे का शिकार हो गई। ट्रेन का चौथा कोच अचानक पटरी से उतर गया। उत्तरी रेलवे के अनुसार गनीमत रही कि हादसे के वक्त ट्रेन की स्पीड कम थी, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया। ट्रेन में सवार सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया और किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
रेलवे के सीनियर अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे और राहत कार्य शुरू कराया। फिलहाल ट्रैक पर से डिब्बा हटाकर ट्रैफिक सामान्य करने की कोशिशें जारी हैं।
लगातार हो रही रेल दुर्घटनाएं और बढ़ती चिंता
गौर करने वाली बात यह है कि बीते कुछ महीनों में भारतीय रेलवे में रेल हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है। कहीं ट्रैक मेंटेनेंस की कमी, कहीं पुरानी पटरियां, तो कहीं कर्मचारियों की लापरवाही — इन सब वजहों से रेल यात्री जोखिम में रहते हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली NCR में शिवाजी ब्रिज स्टेशन काफी व्यस्त रूट पर स्थित है, यहां हजारों लोग रोजाना अप-डाउन करते हैं। EMU ट्रेनें दिल्ली, गाजियाबाद, फरीदाबाद, नोएडा समेत कई शहरों को जोड़ती हैं। ऐसे में इस तरह की घटनाएं रेलवे के सुरक्षा इंतजामों पर सवाल उठाती हैं।
गुजरात के अहमदाबाद में भीषण प्लेन क्रैश
ट्रेन हादसे से पहले सुबह ही गुजरात के अहमदाबाद में एक बड़ी हवाई दुर्घटना की खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। एयर इंडिया की एक इंटरनेशनल फ्लाइट अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन के लिए रवाना हुई थी। टेक-ऑफ के कुछ ही देर बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसा इतना भीषण था कि विमान आग के गोले में तब्दील हो गया। हादसे में सवार सभी 242 यात्रियों समेत दो पायलट और 10 क्रू मेंबर की मौत हो गई।
यह हादसा अहमदाबाद के हॉर्स कैंप इलाके में सिविल हॉस्पिटल के पास हुआ। विमान के गिरते ही उसमें जोरदार धमाका हुआ, जिससे आसपास की इमारतों को भी काफी नुकसान पहुंचा। कई घरों की खिड़कियां चकनाचूर हो गईं और आग की लपटें दूर से भी दिखाई दे रही थीं।
मौके पर एयरफोर्स और एनडीआरएफ का रेस्क्यू ऑपरेशन
जैसे ही विमान क्रैश होने की खबर आई, एयरफोर्स और आर्मी की टीम तुरंत मौके पर पहुंच गई। एनडीआरएफ की टीमें भी राहत और बचाव कार्य में जुट गई हैं। हादसे के बाद इलाके में भारी भीड़ जमा हो गई थी, जिसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस को मशक्कत करनी पड़ी।
रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत मलबे से शव निकाले जा रहे हैं और घायलों को पास के सिविल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। हालांकि अब तक किसी जीवित यात्री के मिलने की संभावना न के बराबर बताई जा रही है।
कैसे हुआ इतना बड़ा विमान हादसा?
फिलहाल एयरफोर्स और DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) ने हादसे की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में तकनीकी खराबी या इंजन फेल होने की बात सामने आ रही है, लेकिन हादसे के सही कारणों का खुलासा ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद ही हो पाएगा।
हादसे के बाद अहमदाबाद एयरपोर्ट से सभी फ्लाइट्स को कुछ समय के लिए डायवर्ट कर दिया गया है। दुर्घटना से जुड़े मलबे और जलते हुए विमान के हिस्सों को कूल करने में दमकल विभाग की कई गाड़ियां मौके पर डटी हैं।
यात्रियों की सुरक्षा के लिए सख्ती जरूरी
रेल हो या हवाई सफर — यात्री सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। देश में हाल के हादसे दिखाते हैं कि कहीं न कहीं सिस्टम में बड़ी खामी है। बढ़ती रेल दुर्घटनाओं और बार-बार होने वाली विमान दुर्घटनाओं के बाद केंद्र सरकार और संबंधित एजेंसियों को अपनी तैयारियों और सुरक्षा मानकों को कड़ा करना होगा।
यात्रियों की जान की कीमत सबसे ऊपर है और इसके लिए सुरक्षा में कोई चूक नहीं होनी चाहिए। रेलवे को ट्रैक मेंटेनेंस, समय-समय पर कोच चेकिंग और पुराने इंजन को बदलने जैसे जरूरी कदम तेजी से उठाने होंगे। वहीं एयरलाइंस को भी अपने विमानों की समय-समय पर जांच और क्रू को हाई लेवल ट्रेनिंग देना होगा।
निष्कर्ष
गुजरात के विमान हादसे ने सैकड़ों परिवारों को उजाड़ दिया, जबकि दिल्ली में रेल हादसा बाल-बाल बच गया। यह हम सबके लिए चेतावनी है कि यात्री सुरक्षा को अब सिर्फ कागजों पर नहीं, जमीन पर उतारना होगा। सरकार और एजेंसियों को चाहिए कि जांच पारदर्शी तरीके से हो और जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।